69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने घेरा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का आवास
लखनऊ में मंगलवार को एक बार फिर 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया।सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने से अभ्यर्थी नाराज है। इसको लेकर केशव प्रसाद के घर के सामने धरने पर बैठे हैं। अभ्याथियों की जोरदार नारेबाजी से मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। अभ्याथियों का केशव चाचा न्याय करो का नारा गूंज रहा है।
uttar pradesh
11:09 AM, Aug 19, 2025
Share:


प्रदर्शन कर रहे अभ्याथियों को समझाते अधिकारी सौ0 सोशल मीडिया
उत्तर प्रदेश।लखनऊ में मंगलवार को एक बार फिर 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया।सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई न होने से अभ्यर्थी नाराज है। इसको लेकर केशव प्रसाद के घर के सामने धरने पर बैठे हैं। अभ्याथियों की जोरदार नारेबाजी से मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। अभ्याथियों का केशव चाचा न्याय करो का नारा गूंज रहा है।
कोर्ट के फैसले को सरकार ने लटकाया
अभ्यर्थियों का कहना है कि हाई कोर्ट का जो फैसला आया था सरकार उसे जानबूझ कर लटका दिया जिससे यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चला गया। सरकार के पास पर्याप्त समय था वह हाईकोर्ट डबल बेंच के फैसले का पालन करके सबके साथ न्याय कर सकती थी।

डिप्टी सीएम आवास प्रदर्शनकारी अभ्याथियों ने की नारेबाजी सौ0 सोशल मीडिया
सरकार पर हीला हवाली का आरोप
विज्ञापन
धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया और उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद बीते 13 अगस्त 2024 को लखनऊ हाई कोर्ट के डबल बेंच ने हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया और नियमों का पालन करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया। लेकिन सरकार इस प्रकरण में हीला हवाली करती रही।

प्रदर्शन कर रहे अभ्याथियों को एक जगह इकटठा करती पुलिस सौ0 सोशल मीडिया
डिप्टी सीएम ने दिया आस्वासन
पटेल ने कहा कि उन्होंने दो सितंबर को भी केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया था तब उन्होंने त्वरित न्याय किए जाने की बात कही थी और हम अभ्यर्थियों से मुलाकात भी की थी। लेकिन उनकी बात को भी अधिकारियों ने नहीं माना अब यह मामला माननीय सुप्रीम कोर्ट में चला गया। हम पिछड़े दलित गरीब अभ्यर्थी अधिकारियों और सरकार के इस रवैया से काफी हताश और परेशान हैं। जो काम कुछ दिनों में हो सकता था उसे इतना लंबा जानबूझकर टाल दिया गया है। केशव जी का त्वरित न्याय की टिप्पणी, खाने के दांत अलग और दिखाने के दांत अलग साबित हुआ। त्वरित न्याय की कोई सीमा होती है यह नहीं की महीनों मामला लटक रहे।