नवरात्रि की शुरूआत से ही माता रानी के भक्तो की लंबी भीड उमडी,जय माता दी!
देश के कोने — कोने में 22 सितंबर को नवरात्रि का पहला दिन लोग अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ माना रहे है। नवरात्रि का पहला दिन मां भगवती के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री का दिन है। नवरात्रि के शुरूआती दिन में ही मंदिरो में भक्तो की लंबी भीड उमडी हुई है। लोग सुबह 4 बजे से ही अपनी घर की पूजा की तैयारी में लगे हुए है।
lucknow
12:36 PM, Sep 22, 2025
Share:


SKETCH BY- GOOGLE
उत्तर प्रदेश। देश के कोने — कोने में 22 सितंबर को नवरात्रि का पहला दिन लोग अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ माना रहे है। नवरात्रि का पहला दिन मां भगवती के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री का दिन है। नवरात्रि के शुरूआती दिन में ही मंदिरो में भक्तो की लंबी भीड उमडी हुई है। लोग सुबह 4 बजे से ही अपनी घर की पूजा की तैयारी में लगे हुए है। देवी शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, देवी दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप ने देवासुर संग्राम के पहले दिन राक्षसों का वध किया था। हिंदू मान्यता के अनुसार बताया जाता है कि, नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के बाद सबसे पहले मां शैलपुत्री की विशेष पूजा की जाती है।
नवारात्रि के पहले दिन आपको रखना है इन बातो का ध्यान
नवरात्र के पहले दिन लोग अपने घर के पूजा घर में कलश की स्थापना करते है। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाते है। मिट्टी के बर्तन में जौ बोते है और एक कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालकर अपनी प्रेम और सच्ची भक्ती के साथ माता रानी की पूजा करते है। लोगो के अंदर मां के प्रति अति विश्वास होता है क्योकि,नवरात्र देवी दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है।जो बुराई पर अच्छाई की जीत, नारी शक्ति, समृद्धि और आंतरिक व बाहरी संतुलन का उत्सव है। यह नौ दिनों का एक त्यौहार है। जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। जो मानसिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करने तथा समाज में सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक है।
व्रत को रखने से क्या होता लाभ
लोगो के द्वारा माता को बहुत ही पूजा जाता है। लोग नवरात्रि में उपवास या व्रत माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते है। बताया जाता है कि, व्रत शरीर को शुद्ध करने, आध्यात्मिक शांति पाने, और आत्म-नियंत्रण बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह ऋतु परिवर्तन के दौरान शरीर को डिटॉक्स करने और बीमारियों से बचाने में भी सहायक माना जाता है। पौराणिक कथाओं में भी देवताओं द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए माता दुर्गा का व्रत करने का उल्लेख है। नवरात्रि का व्रत बच्चो से लेकर बूढे तक अपनी भक्ती के साथ रखते है। उनका माता रानी पर विश्वास बहुत ही अटूट होता है।
कैसे व्रत रखने से होगी सारी इच्छाए पूरी
नवरात्रि का व्रत रखने के बहुत सारे नियम होते है। जिनका पालन करना चहिए। वरना व्रत रखने के बाद भी माता रानी व्रत का फल नही देती है। नवरात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दौरान अपने मन में क्षमा, दया, उदारता और उत्साह जैसे भाव रखने चाहिए और तामसी भावों को अपने मन में बिल्कुल नहीं आने देना चाहिए। सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथि पर व्रत खोलना चहिए। तो 9 कुंवारी कन्याओं को भोजन अवश्य कराना चहिए। जिससे आपका व्रत पूरा होता है। क्योकि,जब आप नौ कन्याओं को भोजन कराते है। वो माता रानी का ही प्रतीक होती है। जिससे आपके घर पर माता रानी की कृपा होती है।
क्या करने से मिलेगी माता रानी की कृपा
नवरात्रि में माता रानी की कृपा पाने के लिए शुद्ध मन से घटस्थापना करके अखंड ज्योति जलाएं, मां दुर्गा को सोलह श्रृंगार, लाल चुनरी और फूल चढ़ाएं, नवार्ण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै का जाप करना चहिए। हर दिन देवी को उनका प्रिय भोग अर्पित करें और पूजा के दौरान शुद्ध तन-मन रखें व सभी नकारात्मक विचारों से दूर रहेंं। अपने मन में माता रानी के प्रति सच्ची भक्ती के साथ विश्वास भी रखे। क्योकि,माता रानी अपने भक्तो का विश्वास कभी भी नही तोडती है।